भाषा चेतना की सहज अभिव्यक्ति है, जिसे साहित्य द्वारा समझा ही नहीं जा सकता है; बल्कि भाषा-साहित्य द्वारा समाज को एक उन्नयन दिशा की ओर प्रशस्त भी किया जा सकता है ।
"दीये की आग", को प्रतिलिपि पर पढ़ें :
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