Friday, January 17, 2020

कवि अभिषेक कुमार 'अभ्यागत' की कविता : कागज़ की नाव

                              कागज़ की नाव


मैं सोन नदी के
तट के छिछले
पानी में
एक सात वर्षीय बच्चे को
कागज़ की नाव बनाकर
उस पर बड़े से लाल
चूँटे को रखकर
पानी में तैराते देखा ।

धीरे-धीरे कागज़ की नाव
पानी में गलकर
सुराकदार होती जा रही थी
और, नदी का पानी
कागज़ की नाव को
अपनी भार से
डूबाता जा रहा था
और, चूँटा अपनी
प्राण रक्षा में
एक सुरक्षित स्थान खोजने के
गुरुतर प्रयास में जुटा था
और, बच्चा था कि डूबते
कागज़ की नाव से बेफ़िक्र
एक दूसरी कागज़ की नाव
बना रहा था ।

               - अभिषेक कुमार 'अभ्यागत'
                युवा कवि, कथाकार, एवं नाटककार
                डेहरी आन सोन, रोहतास, (बिहार)



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