Tuesday, September 14, 2021

मैं हिन्दी का खड़ी पाई हूँ


मैं हिन्दी भाषा में 
हिन्दी का खड़ी पाई हूँ ।

जैसे रात के अंधेरे में
रात्रि प्रहरी रात भर पहरा देता है 
ठीक, मैं भी हिन्दी के पीछे खड़ा 
हिन्दी की पहरेदारी करता हूँ 
मैं जब भी हिन्दी में होता हूँ 
तो, एक पूरे वाक्य के अंत में होता हूँ 
(या कहें कि रख दिया जाता हूँ !)
पर जब भी होता हूँ 
तो जीवन की एक-एक विशृंखलता को 
गुम्फित कर
हिन्दी को एक सही अर्थ देता हूँ ।

इस तरह मेरा हिन्दी में खड़ी पाई होना
मुझे हिन्दी-सर्जक बना देता है 
जो मेरे लिए हिन्दी का 
मुझ पर किया गया 
सबसे अनमोल कृत है  ।

अभिषेक कुमार 'अभ्यागत' 
डेहरी-ऑन-सोन,रोहतास,बिहार  ।

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