Sunday, August 11, 2019

दोस्ती/ Dosti यह कविता हमेशा हमे दोस्तों की याद दिलाएगी

देखते ही देखते,
हवाओं सा उड गय,
कभी जो हमने साथ;
बिताए थे, दोस्तों के संग ।
वो मस्ती,
वो रंग,
वो उमंग,
आज वह हवाएं
मौन दिशा से उड़ कर,
उन दोस्तों की छवि गंध लिए;
मेरे चित्त को महकाने आयी है,
उनकी यादों की बरसात लिए,
उमड़ी है, मेरे अंतर्मन को भिगोने
और,  मैं भीगकर मानों
अपनी दोस्ती का हाथ थामें,
अपने दोस्तों के साथ चलरहा  हूँ ।

                - अभिषेक कुमार 'अभ्यागत'
                   डेहरी आन सोन, रोहतास, (बिहार)

No comments:

Post a Comment